पंख
आज उड़ने का मन है
आसमान से आगे जाने का मन है
कोई लगा दे पंख मुझको
ऊँचाइयों को छुने का मन है
कदम डगमगा न जाए
इस डर को दूर भगाने का मन है
बस होसला हो मन में
आज उड़ने का मन है
तितली के जैसे घूमूं हर डाल पर
आज एक फूल पर बसेरा बनाने का मन है
कुछ मंजिलें अधूरी हैं मेरी
आज उन मंजिलो तक पहुचने का मन है
आज कोई रोके ना मुझको
आज उड़ने का मन है
by- neha sharma