Friday 29 June 2012

पंख


पंख 
आज उड़ने का मन है 
आसमान से आगे जाने का मन है 
कोई लगा दे पंख मुझको 
ऊँचाइयों  को छुने का मन है 
कदम डगमगा न जाए 
इस डर को दूर भगाने का मन है 
बस होसला हो मन में 
आज उड़ने का मन है 
तितली के जैसे घूमूं  हर डाल पर 
आज एक फूल पर बसेरा बनाने का मन है 
कुछ मंजिलें अधूरी हैं  मेरी 
आज उन मंजिलो तक पहुचने का मन है 
आज कोई रोके ना  मुझको 
आज उड़ने का मन है 
by- neha sharma


Sunday 10 June 2012

कुछ ख्वाब


कुछ ख्वाब 


एक ख्वाब था आँखों में सजता हुआ
एक सुनहरा कल लगता है अपना बनता हुआ
सपने सब सच होने लगे है
हम ख्वाबों की दुनिया में खोने लगे है
सोचा था एक सपना हमने भी 

एक सपना था सफ़ेद घोड़े पर राजकुमार आएगा  
                और चुपके से मुझे अपनी दुनिया में ले जायेगा 
कभी सोचा ना था इतनी खुशनुमा होगी मेरी दुनिया
मिलेंगीमुझे इतनी सारी  खुशियाँ
बस इन खुशियों को समेट  लू हमेशा के लिए
 चुरा लू सब आंसू अंखियो से उनके
सपनो की दुनिया अब सच होने लगी है 
मेरी ख्वाहिशें जिन्दा होने लगी है

लोग कहते है सपने कभी सच नहीं होते
लेकिन वो क्या जाने सपने सच उनके होते है 
जो कभी उम्मीद नहीं खोते 
मुझे किस्मत पर यकीं होने लगा है अब 
देखा मैंने अपना ख्वाब सच होते हुए जब 

By- Neha Sharma