Wednesday 16 July 2014

काश

                                                                   


     काश 


कहीं दूर एक परछाई नज़र आती है .
मुझे उसकी आँखों में क्यों तन्हाई नज़र आती है 
वो आजाए करीब तो राज़-ऐ -दिल खोल दूँ 
मन में जो है सब उसको बोल दूँ 
पर वो नासमझ मोहब्बत को नहीं समझती है 
मोहब्बत है रेत के जैसे वो सबको ये कहती है 
कौन समझाए उसको ये खूबसूरत सी बात को 
क्यों नहीं समझती है वो आखिर मेरे जज्बात को 

By- neha sharma