Thursday 31 May 2012

माँ


माँ 
काश  होती वो तो सर हलके से सहला देती 
सुनाकर गीत प्यार भरे मन को जरा बहला देती 
अगर थक जाते राहो में चलते चलते
पकड़कर उंगली क़दमों को डगमगाने से बचा लेती 
माँ अगर होती तू  पास हमे अपने आँचल में छुपा लेती 
दूर हूँ माना तुझसे बहुत माँ
लेकिन तू होती अगर पास तो अपना कहकर सीने से लगा लेती  
पाँव में अगर लगता काँटा भी 
तू खुद उसको प्यार से निकाल देती 
तेरी कमी हर पल सताती है माँ 
तू होती तो मुझे ममता के आँचल में छुपा लेती

BY NEHA SHARMA


             

Friday 25 May 2012

श्री राज श्यामाजी

   dedicated to lord raj shyamaji
 श्री राज श्यामाजी 

बेखबर अजनबी से थे हम  आपसे, 
क्या कहे किस  कदर भटके थे हम  राह से, 
जब हाथ  पकडकर सहारा मिला थोडा सा, 
लगा की सब  मिल  गया हो हमे आज से, 
बस  अब कोई इच्छा नहीं तुम्हारे सिवा इस  दिल में, 
सारे दुःख  जो दूर हो गए  मेरे आपकी कृपा मिलके, 
मानते है नादान है थोड़े अभी भी हम ,
पर भरोसा है आप  पर  फिर क्यों सोचे मिला है कम ,
तय  करना है सफ़र लम्बा पर डर रहे थे तन्हाई से,
अब आप साथ  हो डर नहीं लगता किसी भी परछाई से, 
अब इस रूह  को आपको पाने की  आस है, 
इन  आँखों  को  आपके  दर्शन  की  प्यास  है, 
कब  आओगे  प्रभु  तुम  हमे  लेने  ये  तो बता  दो, 
अपने  ठिकाने  का  हमे  कुछ  तो  पता  दो, 
नैन  बिछाये  बैठे  है  राहो  में  कब  से,  
देखी  है आपकी  छवि  इन  आँखों  ने  जब  से,  
created by- neha sharma

आँखें

         
   
 आँखें 

इंसान  की पहचान  है  यें  आँखें,
प्यार जताने का दुसरा नाम  है यें आँखें,
अगर जानना हो हाले दिल  किसी का,
सारे राज़  खोल  जाती है यें आँखें, 
इशारे करना तो आदत  है इनकी, 
पर पहचान  जाती है सब  यें आँखें, 
कभी किसी राह पर डगमगा अगर जाए  कोई,
तो उसी राह को मजबूत  बनाने का हौसला दिखा जाती है ये आँखें, 
कभी कमजोर पड़े ज़िदगी में अगर,
तब  ज़िदगी जीना सीखा जाती है यें आँखें, 
अगर  बिखरा  हो झूठ चेहरे पर जरा भी, 
तब  सच  का आइना दिखा जाती है यें आँखें,
सादगी की पहचान  भी है यें आँखें, 
हर  दिल  का अरमान  भी है यें आँखे,
धोखा देना नहीं सीखा इन्होने कभी,
अच्छे बुरे की परख  करना सीखा जाती है यें आँखें,



created by neha sharma



Wednesday 23 May 2012

मन की बातें


मन  की बातें 

कुछ बाते जब समझ से परे हो जाती है,
वो हमारी कविताओं में उतर आती है, 
चंद अलफ़ाज़ बिखर जाते है इन पन्नों पर,
और मेरे मन को तसल्ली हो जाती है,
जब लगने है कुछ अधुरा है,
तब स्याही पेजों पर बिखर जाती है, 
तब जाकर मेरे मन की भावना कविता के रूप में उभर आती है,
BY NEHA SHARMA




एक आस

एक आस 



आँखों से दिल  में उतर जाना फितरत  है तुम्हारी,

हमें हर पल  सताना आदत है तुम्हारी,

यूँ तो हर शाम गुजरती है तन्हा,

पर वो शाम  ख़ास होगी जो गुजरेगी पनाहों में तुम्हारी,

ज़िन्दगी भर इंतज़ार  किया जिस पल का,

डर लगता  है  कही पल भर में सिमटकर हो ना जाये हल्का,

वादा  है हमारा ख़ुशी देंगे सबको,

जियेंगे  बनाकर अपना रब को,

कल  भले ही राहो में लाख  काँटें हो, 

लेकिन हम जानते  हैं आप अच्छा मुस्कुराते हो ,


वो दिन जब आप पास  होंगे जल्दी आएगा,सफ़र जिंदगी का आपके 

साथ  से कट जायेगा ,

BY NEHA SHARMA


Tuesday 22 May 2012

अरमाँ


अरमाँ


उनको  बताना  नहीं आता,

मुझको  जताना नहीं  आता,

मोहब्बत  करते  है  उनको इतनी,

ये समझाना नहीं  आता ।

होंठ  सिल  जाते  है  अक्सर जब उनसे बात होती है ,

और वो नादान समझते है हमे, कुछ  बताना नहीं  आता ।

इस  दिल  की बेचैनी वो समझ नहीं पाते ,

और  हमे खामोश  रहकर प्यार जताना नहीं आता ।

लिख़  रही हूँ चंद लफ्ज मोहब्बत के ,

फिर मत कहना की तुम्हे अपना बनाना नहीं आता ।

इस  दिल  में अरमाँ बहुत है आपको पाने के ,

बस  क्या करे हमे उनको बताना नहीं आता ।



Created By - Nehha Sharma || May 2012