Tuesday 23 December 2014

ज़िन्दगी

जिन्दगी

थोड़ी उलझी सी है ज़िन्दगी मेरी
थोड़ी सादगी सी है ज़िन्दगी मेरी
हर पल एक नए इमतिहान से गुजरती हूँ मै
इसलिए इतनी सहमी सी है ज़िन्दगी मेरी
यूं तो आते रहते है मोड़ हर राह पर 
पर कुछ ठहरी सी है ज़िन्दगी मेरी
बहुत कुछ सिखा है मैंने तन्हाइयों से अपनी 
इसलिए इतना ठहरी है ज़िन्दगी मेरी 
By Neha Sharma



Wednesday 16 July 2014

काश

                                                                   


     काश 


कहीं दूर एक परछाई नज़र आती है .
मुझे उसकी आँखों में क्यों तन्हाई नज़र आती है 
वो आजाए करीब तो राज़-ऐ -दिल खोल दूँ 
मन में जो है सब उसको बोल दूँ 
पर वो नासमझ मोहब्बत को नहीं समझती है 
मोहब्बत है रेत के जैसे वो सबको ये कहती है 
कौन समझाए उसको ये खूबसूरत सी बात को 
क्यों नहीं समझती है वो आखिर मेरे जज्बात को 

By- neha sharma