Thursday 9 February 2017

प्यारी माॅ




प्यारी माँ 

गलती  करने पर डांटने वाली होती है वो
चोट लगने पर गोद मे उठा लेती है वो
डर जाये तो सीने से लगा लेती है वो
दुःखी हो तो आंचल में छुपा लेती है वो
मैने सुना है माॅ सब सहती है 
फिर भी वो चुप रहती है
दूर जाने पर बहुत रोती है 
हाथ उठाकर हमेशा बच्चों के लिये दुआ करती है वो
बच्चों की खुशी के  लिये सब कर जाती है वो
मैने सुना है माॅ की दुआओं मे असर होता है
तभी तो अपने बच्चे की तड़प पर माॅ का दिल भी रोता है
हर काम कितनी आसानी से करती है वो
खुशी से अपने बच्चों का पालन पोषण करती है वो
कितनी निस्वार्थ होती है वो
ममता की मुरत होती है वो 
मैने सुना है माॅ के हाथो मे जादू सा होता है
उसी के हाथो मे जाकर रोता बच्चा भी चुप होता है
जाने किस मिट्टी की बनी है वो
दर्द मे खुशी मे अपने बच्चे के सामने मुस्कुराती है वो
कितनी पावन कितनी शीतल होती है वो
आखिर माॅ बस माॅ होती है वो
By Neha Sharma

अब नहीं मिलता


अब नहीं मिलता 

वो रोटी वो अचार नहीं मिलता 
माँ के हाथ के खाने का वो स्वाद नहीं मिलता  
थक जाती हूँ सब कुछ सँभालते सँभालते 
सुकून वाला वो इतवार नहीं मिलता 
ज़िन्दगी की दौड़ में वक़्त पंख लगाकर उड़ गया 
नाव बनाने के लिए वो अखबार नहीं मिलता 
अब वक़्त निकल जाता है सब उन रसोई की दीवारों में  
रंगों से खेलने वाला वो त्यौहार नहीं मिलता 
सबकी खुशियों का ध्यान रखने लगी हूँ मै  
मेरी खुशियों का ध्यान रखने वाला प्यार नहीं मिलता 
बड़ी हो गयी हूँ मै हर बार बताया जाता है मुझको 
क्यों मुझे वो सखी सहेलियों के साथ समय बिताने वाला वार नहीं मिलता  
जो मुझे बेटी समझकर बन्धनों से आजाद कर दे 
अब मुझे कहीं वो संसार नहीं मिलता 
बताया जाता है हर बात पर की बहु पत्नी हु मै  
भाई के जैसे समझाने वाला यार नहीं मिलता
और जब सो जाती हु थककर रात को
सुबह प्यार से जगाने वाला वो परिवार नहीं मिलता  
By Neha Sharma