Sunday 26 March 2017

हसरत

हसरत 

तू फूलों सी यूँ नाज़ुक है कहीं छूने से कुम्हला न जाये 
आ धुप से बचाऊ तुझे कहीं तू मुरझा न जाये 
बाहों में भर के महफूज़ कर लू तुझे मै सदा के लिए 
देखकर मुझे तू कहीं यूँ ही शरमा न जाये 
हसरत तो बड़ी है तेरे इन कोमल से गालों को छूने की 
पर कहीं मेरे इश्क की तपिश तुझको पिंघला न जाये 
उल्फत ऐ इश्क कर तो लिया हमने भी 
पर ये खबर इस शहर में कोई फैला न जाये 
डर है मुझे मेरे इश्क में कोई बदनाम न कर दे तुझे 
इसलिए कहता हूँ की आ हम एक दुसरे में जिए जायें
पहनकर धागा प्रेम का तुझे गले में 
सिन्दूरी चुम्बन माथे पर आज लगा जायें 
दें इश्क को नाम हम अपना 
और सात फेरों से हमेशा के लिए तेरे दिल में बस जायें 
बसाकर आशियाना इश्क का हम अपना 
हमेशा के लिए बस तेरे बन जायें 
By Neha Sharma