Thursday 10 August 2017

बुड्ढे बुढिया का प्रेम प्रसंग


बुड्ढे बुढिया का प्रेम प्रसंग 

एक बुढ्ढे को बुढ़ापे में इश्क का बुखार चढ़ गया,
बुढिया को जीन्स टॉप पहनाकर बियर बार में ले गया,
बोला आज की पीढ़ी ऐसे ही रोमांस करती है,
तू भी पी ले बियर थोडा कम चढ़ती है,
बुड्ढे ने इतना बोला की बुढिया इतना शरमा गयी,
बोली जाने दो मिनरल वाटर दे दो दांतों में अब कम ताकत आ गयी,
बुद्धा बोला चल छोड़ अब डिस्को चलते है,
वहां चलकर न्यू मैरिड कपल की तरह डांस करते है,
बुढिया बोली डांस तो मै कर लुंगी,
तुझे बाहों में भी भर लुंगी,
पर ये बता बीच में लुढ़क गयी तो क्या करेगा,
मुझे समेटकर घर तक कैसे लायेगा,
बुड्ढे ने बहुत सोच विचारकर बोला चलो छोड़ो,
रुख अपना जरा दूसरी तरफ मोड़ो,
चल डेट पर चलते है,
इसी बहाने लॉन्ग ड्राइव साथ मे करते है,
बुढिया ने फिर बात को तवज्जो देते हुए बोला,
काहे को करते हो बुढ़ापे में एक्सीडेंट का झोला,
लॉन्ग ड्राइव पर लेकर तो जाओगे,
पर क्या इन कांपते हाथो से ड्राइव कर पाओगे,
मुझे तो अभी  आखिरी लॉन्ग ड्राइव पर जाना है, 
घर पर बैठकर भगवान् का ध्यान लगाना है,
छोड़ो इन सब बातों को हरी का नाम लेते है,
घर बैठकर माला जपते है,
बेचारा बुड्ढा रोमांस का ख्वाब लेकर रह गया,
और बुढिया ने चालाकी से उसके सब प्लान पर पानी फेर दिया,
अंत में बुड्ढे ने सोचा की बुढिया ठीक कहती है, 
भावना की हर नदी उम्र के दायरे में बहती है, 
By नेहा शर्मा 

Saturday 17 June 2017

हास्य कविता


टीवी रिमोट सीरियल 


कहते है औरतें बहुत मेहनती होती हैं,
तभी तो टीवी के रिमोट के लिए झगडती है, 
जब वक़्त होता है खाने का, 
तभी तो वो टीवी के आगे जमती है,
कहकर पांच मिनट में आती हूँ ,
एक घंटा लगा देती हैं, 
मत पूछो की औरतें कितना मेहनती होती है, 
सीरियल की कहानी को अपने घर की कहानी समझ लेती है, 
टीवी के सामने बैठकर आंसू बहाने लगती है,
देखो पार्वती ने उसको मार दिया,
हाय राम ये उसने क्या कर दिया,
अरे साड़ी तो बोहोत अच्छी है उर्वशी की, 
पर सास बहुत तंग करती है दृष्टि की, 
घर घर में रिमोट की हुकूमत चलती है, 
तभी तो औरतें बहुत मेहनती होती है, 
झगडा रिमोट पर हर रोज़ मियां जी से होता है, 
और अंत में रिमोट हर बीवी के हाथ में होता है,
वैसे तो हर काम समय पर करती है,
पर जब सीरियल आये तो किसी की नहीं सुनती है ,
गलती से कोई रिमोट से चैनल हटा दे, 
तो ये सुना सुना कर अगले की उम्र ही घटा दे, 
देखो निकाल दिया ना मेरा सीरियल ,
ये कह कह कर पूरी ज़िन्दगी ही निकल दें,
वो तो कोई रीत ही नहीं बनी है ऐसी, 
वरना रिमोट की हर घर में पूजा होती, 
रिमोट होते देवता हर घर के, 
और सुबह शाम बस उसके नाम की आरती होती ।
By नेहा शर्मा 

Monday 15 May 2017

माँ बेटी की अनोखी बातें


माँ बेटी की अनोखी बातें 



(बेटी )
देखो माँ मैंने अभी सांस ही भरी है
तेरे आँचल की छाँव में आना अभी बाकी है
न करो मुझे अलग तुम खुद से अभी तुम्हारा प्यार पाना बाकी है
पापा को कभी बेटे की कमी महसूस नहीं होने दूंगी वादा करती हूँ तुमसे
मुझमे अभी आपके छूने का अहसास समाना अभी बाकी है
देखना है मुझे अभी ममता का सागर तुम्हारी आँखों में
की मुझे अभी आप पर अपना हक जताना बाकी है
मत मारो मुझे अपनी ही कोख में
मै भी सिसकती हूँ दुःख से ये बताना अभी बाकी है

(माँ )

बेटी है तू मेरी कैसे सोच भी लूँ की दूर कर दूँ तुझे
की मेरी अंतरात्मा को मारना अभी बाकी है
छिल गए हैं मेरे जख्म और भी इस बेरहम दुनिया से
तुझे बचाकर इस ज़माने से छिपाना अभी बाकी है
बेरहम है यहाँ लोग नहीं छोड़ेंगे तुझे
मेरे दिल के जख्म तुझे दिखाना अभी बाकी है
बहुत सहा है मैंने ये लड़की बनकर
तू मत आ यहाँ तुझे ये बताना अभी बाकी है
तू बहुत भाग्यशाली है मेरी बच्ची
मै ही बेटी की माँ बनने लायक नहीं ये बताना अभी बाकी है
तू मेरी शक्ति है कैसे समझाऊ तुझे
बस ये दरिंदो से तुझे बचाना अभी बाकी है

(बेटी )

समझ गयी हूँ माँ मै तेरी मजबूरी को
तेरी हर इच्छा का दम घोंटना अभी बाकी है
तू बहुत प्यारी है माँ जान गयी हूँ मै
पर इस समाज की जंजीरों से मेरा ही दूर जाना बाकि है
मै नहीं आउंगी कभी इन जानवरों की की ज़िन्दगी में माँ
की मेरा अलविदा कहना अभी बाकी है


इतना कहकर दम तोड़ दिया उस नन्ही सी जान ने तभी
अब नहीं नज़र आएगी उस आँगन में वो फूल सी कली
अरे तुम क्या जानो बेटी गुरुर होती है माँ बाप का
तुम लोगो ने तो देखा है बस काला साया रात का
नहीं समझ पाओगे कभी बेटी की अहमियत को
खुद ही मार डाला है खुद की इंसानियत को
कितना गिराओगे नीचे खुद को
एक दिन हिसाब देना होगा खुद  जाकर रब को
उस दिन सर झुकाकर खड़े मत रहना
खुदा के हर सवाल का जवाब देना
by नेहा शर्मा





Sunday 14 May 2017

लड़ाई मियां बीवी की


लड़ाई मियां बीवी की 


कविता शुरू हुई मियाँ बीवी की लड़ाई सै
बात बात में बढ़ गयी दोनों की सुनवाई सै

एक तरफ मासूम सा पति खड़ा था 
एक तरफ कड़ी थी भोली सी लुगाई सै

अब पत्नी का आरोप था की पति शौपिंग में टांग अड़ाता है 
जब कोई चीज़ पसंद आये बहुत मुंह बनाता है 

पति बिचारा खड़ा सुन रहा था चुपचाप 
पत्नी AK47 की तरह उसपे सवाल रही थी दाग 

आखिर में बिचारा परेसान होकर बोल उठा 
शौपिंग करने को ४ घंटे लगाती है ये कहकर मुह खोल चूका 

इतना कहना ही था बिचारे का बीवी भीरड़ के छत्ते के के जैसे चिपट गयी 
बिचारे पति की इज्ज़त तो जैसे भरे बाज़ार में उतर गयी 

मुह खोलने का नतीजा बिचारा अब तक भुगत रहा है 
और बीवी के पीछे शौपिंग बैग लेकर घूम रहा है 

इसलिए ठीक कहते है लोग कुछ भी हो बीवी को नाराज़ नहीं करना 
नहीं तो पड़ जायेगा उसका भी हर्जाना भरना 

पति चाहे कितना भी हो सवा शेर 
बीवी के आगे हो ही जाता है बिचारा ढेर 

क्युकी चाहे कितना भी हो पति शेर सा बलवान 
आखिर में दुर्गा हो ही जाती है उसपे सवार 

कुछ भी कहो इतिहास गवाह है 
हमेशा से बस बीवियों की वाह वाह है 

मियां बीवी के बीच चाहे झगडा कितना बड़ा है 
झुकना हमेशा पतियों को पड़ा है 
झुकना हमेशा पतियों को पड़ा है  
By नेहा शर्मा 

Thursday 4 May 2017

वजूद


वजूद 

हालत देखकर अपनी रो रहा गरीब है 
उसी गरीब की रोटी पर देखो नाच रहा अमीर है 
वक़्त के खेल ने खिंची ये अमीरी गरीबी की दिवार है 
इसी सब खेल में देखो पिस रहा समाज है 
नाच रहा पैसा और उड़ रहा महंगाई का हिसाब है 
बिक रही रोटी और खोखला हो रहा इज्ज़त का प्रचार है 
मर गयी आँखों की शर्म और बिक गया गरीबो का त्यौहार है 
खाली रह गया घर और बन गया पत्थर का मकान है 
दुनिया देखी लोग देखे देखा पैसे का खेल 
तन ढकने को पैसा नहीं और जगह जगह खुली पड़ी दारु की दूकान है 
पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब तो बोला पर आज बिक गयी स्कूल की वो किताब है 
मर गयी इंसानियत रह गया बस इंसान 
घर घर में आज बिक रहा कफन का सामान है 
By Neha Sharma

बेटी हूँ मैं


बेटी हूँ मै 

अब तो छोटी से बड़ी हो गयी हूँ मै 
कुछ कहो न कहो बेटी हूँ मै 
अच्छा पापा अब विदा लेती हूँ मै 
दिल छोटा मत करना बेटी हूँ मै 
छोडकर आपके महलो को दुसरे घर जाती हूँ मै 
रोना मत माँ बेटी हूँ मै 
दुसरे घर उजाला करने अब तो चलती हूँ मै 
याद रखना मुझे दादी इस घर की बेटी हूँ मै 
चिराग उस घर का रोशन करने अब जाती हूँ मै 
आंसू मत बहाना बाबा बेटी हूँ मै 
खेल खिलोने अब छोडकर लक्ष्मी बनकर उस घर चलती हूँ मै 
दुखी मत होना भैया इस घर की लाडली बेटी हूँ मै 
By Neha Sharma

Sunday 26 March 2017

हसरत

हसरत 

तू फूलों सी यूँ नाज़ुक है कहीं छूने से कुम्हला न जाये 
आ धुप से बचाऊ तुझे कहीं तू मुरझा न जाये 
बाहों में भर के महफूज़ कर लू तुझे मै सदा के लिए 
देखकर मुझे तू कहीं यूँ ही शरमा न जाये 
हसरत तो बड़ी है तेरे इन कोमल से गालों को छूने की 
पर कहीं मेरे इश्क की तपिश तुझको पिंघला न जाये 
उल्फत ऐ इश्क कर तो लिया हमने भी 
पर ये खबर इस शहर में कोई फैला न जाये 
डर है मुझे मेरे इश्क में कोई बदनाम न कर दे तुझे 
इसलिए कहता हूँ की आ हम एक दुसरे में जिए जायें
पहनकर धागा प्रेम का तुझे गले में 
सिन्दूरी चुम्बन माथे पर आज लगा जायें 
दें इश्क को नाम हम अपना 
और सात फेरों से हमेशा के लिए तेरे दिल में बस जायें 
बसाकर आशियाना इश्क का हम अपना 
हमेशा के लिए बस तेरे बन जायें 
By Neha Sharma


Thursday 9 February 2017

प्यारी माॅ




प्यारी माँ 

गलती  करने पर डांटने वाली होती है वो
चोट लगने पर गोद मे उठा लेती है वो
डर जाये तो सीने से लगा लेती है वो
दुःखी हो तो आंचल में छुपा लेती है वो
मैने सुना है माॅ सब सहती है 
फिर भी वो चुप रहती है
दूर जाने पर बहुत रोती है 
हाथ उठाकर हमेशा बच्चों के लिये दुआ करती है वो
बच्चों की खुशी के  लिये सब कर जाती है वो
मैने सुना है माॅ की दुआओं मे असर होता है
तभी तो अपने बच्चे की तड़प पर माॅ का दिल भी रोता है
हर काम कितनी आसानी से करती है वो
खुशी से अपने बच्चों का पालन पोषण करती है वो
कितनी निस्वार्थ होती है वो
ममता की मुरत होती है वो 
मैने सुना है माॅ के हाथो मे जादू सा होता है
उसी के हाथो मे जाकर रोता बच्चा भी चुप होता है
जाने किस मिट्टी की बनी है वो
दर्द मे खुशी मे अपने बच्चे के सामने मुस्कुराती है वो
कितनी पावन कितनी शीतल होती है वो
आखिर माॅ बस माॅ होती है वो
By Neha Sharma

अब नहीं मिलता


अब नहीं मिलता 

वो रोटी वो अचार नहीं मिलता 
माँ के हाथ के खाने का वो स्वाद नहीं मिलता  
थक जाती हूँ सब कुछ सँभालते सँभालते 
सुकून वाला वो इतवार नहीं मिलता 
ज़िन्दगी की दौड़ में वक़्त पंख लगाकर उड़ गया 
नाव बनाने के लिए वो अखबार नहीं मिलता 
अब वक़्त निकल जाता है सब उन रसोई की दीवारों में  
रंगों से खेलने वाला वो त्यौहार नहीं मिलता 
सबकी खुशियों का ध्यान रखने लगी हूँ मै  
मेरी खुशियों का ध्यान रखने वाला प्यार नहीं मिलता 
बड़ी हो गयी हूँ मै हर बार बताया जाता है मुझको 
क्यों मुझे वो सखी सहेलियों के साथ समय बिताने वाला वार नहीं मिलता  
जो मुझे बेटी समझकर बन्धनों से आजाद कर दे 
अब मुझे कहीं वो संसार नहीं मिलता 
बताया जाता है हर बात पर की बहु पत्नी हु मै  
भाई के जैसे समझाने वाला यार नहीं मिलता
और जब सो जाती हु थककर रात को
सुबह प्यार से जगाने वाला वो परिवार नहीं मिलता  
By Neha Sharma