लड़ाई मियां बीवी की
कविता शुरू हुई मियाँ बीवी की लड़ाई सै
बात बात में बढ़ गयी दोनों की सुनवाई सै
एक तरफ मासूम सा पति खड़ा था
एक तरफ कड़ी थी भोली सी लुगाई सै
अब पत्नी का आरोप था की पति शौपिंग में टांग अड़ाता है
जब कोई चीज़ पसंद आये बहुत मुंह बनाता है
पति बिचारा खड़ा सुन रहा था चुपचाप
पत्नी AK47 की तरह उसपे सवाल रही थी दाग
आखिर में बिचारा परेसान होकर बोल उठा
शौपिंग करने को ४ घंटे लगाती है ये कहकर मुह खोल चूका
इतना कहना ही था बिचारे का बीवी भीरड़ के छत्ते के के जैसे चिपट गयी
बिचारे पति की इज्ज़त तो जैसे भरे बाज़ार में उतर गयी
मुह खोलने का नतीजा बिचारा अब तक भुगत रहा है
और बीवी के पीछे शौपिंग बैग लेकर घूम रहा है
इसलिए ठीक कहते है लोग कुछ भी हो बीवी को नाराज़ नहीं करना
नहीं तो पड़ जायेगा उसका भी हर्जाना भरना
पति चाहे कितना भी हो सवा शेर
बीवी के आगे हो ही जाता है बिचारा ढेर
क्युकी चाहे कितना भी हो पति शेर सा बलवान
आखिर में दुर्गा हो ही जाती है उसपे सवार
कुछ भी कहो इतिहास गवाह है
हमेशा से बस बीवियों की वाह वाह है
मियां बीवी के बीच चाहे झगडा कितना बड़ा है
झुकना हमेशा पतियों को पड़ा है
झुकना हमेशा पतियों को पड़ा है
By नेहा शर्मा
Superb poem
ReplyDeleteThank you
DeleteWah wah Di :)
ReplyDeleteThnx
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteThnk you
ReplyDeleteawesome Ji Awesome
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