Sunday 14 May 2017

लड़ाई मियां बीवी की


लड़ाई मियां बीवी की 


कविता शुरू हुई मियाँ बीवी की लड़ाई सै
बात बात में बढ़ गयी दोनों की सुनवाई सै

एक तरफ मासूम सा पति खड़ा था 
एक तरफ कड़ी थी भोली सी लुगाई सै

अब पत्नी का आरोप था की पति शौपिंग में टांग अड़ाता है 
जब कोई चीज़ पसंद आये बहुत मुंह बनाता है 

पति बिचारा खड़ा सुन रहा था चुपचाप 
पत्नी AK47 की तरह उसपे सवाल रही थी दाग 

आखिर में बिचारा परेसान होकर बोल उठा 
शौपिंग करने को ४ घंटे लगाती है ये कहकर मुह खोल चूका 

इतना कहना ही था बिचारे का बीवी भीरड़ के छत्ते के के जैसे चिपट गयी 
बिचारे पति की इज्ज़त तो जैसे भरे बाज़ार में उतर गयी 

मुह खोलने का नतीजा बिचारा अब तक भुगत रहा है 
और बीवी के पीछे शौपिंग बैग लेकर घूम रहा है 

इसलिए ठीक कहते है लोग कुछ भी हो बीवी को नाराज़ नहीं करना 
नहीं तो पड़ जायेगा उसका भी हर्जाना भरना 

पति चाहे कितना भी हो सवा शेर 
बीवी के आगे हो ही जाता है बिचारा ढेर 

क्युकी चाहे कितना भी हो पति शेर सा बलवान 
आखिर में दुर्गा हो ही जाती है उसपे सवार 

कुछ भी कहो इतिहास गवाह है 
हमेशा से बस बीवियों की वाह वाह है 

मियां बीवी के बीच चाहे झगडा कितना बड़ा है 
झुकना हमेशा पतियों को पड़ा है 
झुकना हमेशा पतियों को पड़ा है  
By नेहा शर्मा 

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