Saturday 1 December 2018

क्या बात लिखूँ

क्या बात लिखूँ 


गजल लिखूँ 
क्या बात लिखूँ 

तेरी उस छुअन का 
अहसास लिखूं
तू हर सूं मुझमे बसती है 
कैसे गुजरे दिन रात लिखूं

भीगे लब भीगी सी तू
चले जैसे हिरनी सी तू
भीगे तेरे बदन की
भीगी भीगी बरसात लिखूँ

ना जीता हूँ ना मरता हूँ
बस मारा मारा फिरता हूँ
करवट बदल बदलकर
कैसे गुजरी रात लिखूं

नेह फूल बरसा दूँ 
तेरी मद का प्यासा हूँ
तेरी इन मदमस्त ननों के
चलते बाणों सी बात लिखूं।

छम छम बजती पायल
कर जाती है घायल
कजरे से कजरारे नैन
कॉजल वाली रात लिखूं।- नेहा शर्मा

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